2 साल के बच्चे की अनोखी प्रतिभा, India Book of Records में नाम दर्ज

India Book of Records-बच्चों की दुनिया में उनकी मासूमियत और बेलाग हरकतें ही सबसे ज्यादा प्यारी लगती हैं। लेकिन कभी-कभी उनकी कुछ ऐसी प्रतिभाएं भी सामने आती हैं, जिनसे हर कोई दंग रह जाता है। त्रिपुरा के उनाकोटी जिले का रहने वाला रूपरीत दास भी ऐसा ही एक अनोखा बच्चा है। उसकी उम्र महज 2 साल है, लेकिन उसकी प्रतिभा लोगों को हैरान कर देने वाली है।

उम्र महज 2 साल, प्रतिभा कमाल की (Just 2 years old, amazing talent)

रूपरीत अभी ठीक से बोल भी नहीं पाता, लेकिन वह भारत के 28 राज्यों और उनकी राजधानियों की आसानी से पहचान लेता है। न सिर्फ इतना ही, रूपरीत दास मैप पर कई देशों और उनकी राजधानियों को भी बड़ी आसानी से पहचान लेता है। इतनी कम उम्र में इस स्तर की प्रतिभा देखना बहुत ही अनोखा और दुर्लभ है।

India Book of Records में नाम अमर (Name Amar in India Book of Records)

रूपरीत के इस अद्भुत टैलेंट को देखते हुए उसका नाम India Book of Records में दर्ज कर लिया गया है। वह सबसे कम उम्र में यह कमाल करने वाला बच्चा बन गया है। इससे पहले कई बच्चे इस उपलब्धि को हासिल कर चुके हैं, लेकिन रूपरीत की उम्र सबसे कम है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स प्रबंधन ने रूपरीत के इस असाधारण प्रदर्शन को सराहा और उसे सर्टिफिकेट और मेडल से भी सम्मानित किया है।

इस उपलब्धि से रूपरीत का नाम अब इतिहास में दर्ज हो गया है। यहां तक कि वह दुनिया भर के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बन गया है। कई बच्चे भी उसकी तरह अपनी प्रतिभा को निखारने की कोशिश करेंगे। इससे स्पष्ट होता है कि बच्चे अगर सही तरीके से आगे बढ़ें तो वे कुछ भी कर सकते हैं।

मां-बाप की मेहनत रंग लाई (Parents’ hard work paid off)

बच्चों की सफलता में उनके माता-पिता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। रूपरीत के पिता त्रिपुरा स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट हैं, जबकि उसकी मां रुपाली दास एक स्वास्थ्यकर्मी हैं। मां रुपाली का कहना है कि जब रूपरीत की उम्र एक साल की थी, तभी उनकी इस प्रतिभा के बारे में पता चला था क्योंकि वह चीजों को अच्छी तरह से याद कर लेता था। एक साल की उम्र में ही वह भारत के राज्यों की पहचान कर लेता था।

इसके बाद रुपाली ने उसे मैप पर देश के राज्यों और राजधानियों के बारे में पढ़ाना शुरू किया। धीरे-धीरे रूपरीत ने न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई देशों की भी पहचान करना सीख लिया। उसकी इस असाधारण प्रतिभा को देखते हुए रुपाली ने उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने का फैसला किया।

रुपाली की मेहनत रंग लाई और रूपरीत अपनी इस खास प्रतिभा के लिए जाना जाने लगा। यही नहीं, अब उसके पिता भी बेटे के इस टैलेंट पर गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने भी रूपरीत को हर संभव मदद करने का वादा किया है ताकि वह आगे बढ़कर और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सके।

और भी बच्चे हैं रिकॉर्ड धारक (There are other children who are record holders)

रूपरीत के अलावा केरल की रहने वाली 3 साल 11 महीने की हव्वा बिंथ नादिल भी इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं। हव्वा एक असाधारण प्रतिभा की धनी है। उसने ग्रहों, केरल के जिलों, मौसमों, महीनों, दिनों के नाम सुनाने के साथ-साथ रंगों, क्रियाओं, देशों के झंडों, वाहनों, वर्णमाला के अक्षरों, फलों, राष्ट्रीय प्रतीकों, सब्जियों, प्रसिद्ध व्यक्तियों की पहचान करके और गिनती करके यह उपलब्धि हासिल की।

हव्वा की इस असामान्य स्मरण शक्ति और पहचान क्षमता ने उसके माता-पिता को भी चकित कर दिया। उन्होंने तुरंत ही हव्वा की प्रतिभा को पहचाना और उसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नामांकित कराने के लिए आवेदन किया। हव्वा को इस उपलब्धि पर पूरे केरल में सम्मानित किया गया।

हव्वा और रूपरीत के अलावा भी कई ऐसे प्रतिभाशाली बच्चे हैं, जिन्होंने अपनी खास क्षमताओं से दुनिया को चकित कर दिया है। ये बच्चे बताते हैं कि कम उम्र में भी अगर किसी बच्चे में असाधारण टैलेंट हो और उसे ठीक ढंग से निखारा जाए तो वह बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकता है।

बच्चों की प्रतिभा निखारने की जरूरत (Need to enhance children’s talent)

आज के समय में कई बच्चे अपनी खास प्रतिभाओं से लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। लेकिन बहुत से बच्चे ऐसे भी हैं, जिनकी प्रतिभा अनदेखी रह जाती है या उन्हें उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। रूपरीत और हव्वा की कहानी बताती है कि बच्चों में अगर समय रहते उनकी प्रतिभा को पहचाना जाए और उचित मार्गदर्शन मिले तो वे अपनी अनोखी क्षमताओं से पूरी दुनिया को चकित कर सकते हैं।

बच्चों को सही दिशा दिखाने और उन्हें उनके टैलेंट को निखारने में मदद करने की बहुत ज़रूरत है। अगर हम बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार विकसित होने का मौका दें, तो निश्चित रूप से आज के बच्चे ही कल के सितारे बनेंगे।

इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हर माता-पिता अपने बच्चों के व्यवहार पर नज़र रखें और समय रहते उनकी प्रतिभा को पहचानने की कोशिश करें। उन्हें उनके टैलेंट को निखारने में मदद दें और उन्हें सही दिशा दें। ऐसा करने से न केवल बच्चे अपनी पूरी क्षमता से आगे बढ़ेंगे, बल्कि वे देश और दुनिया के लिए गौरव का विषय भी बनेंगे।

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