डोसा बेचकर इस आदमी ने कैसे बनाई 300 करोड़ की कंपनी,जयराम बानन की जीवनी (Jayaram Banan biography and Success Story)

Jayaram Banan biography and Success Story-दोस्तों आज हम आपको एक बहुत ही इंस्पायरिंग कहानी बताने वाले हैं. यह कहानी एक ऐसा इंसान जो कभी 18 रुपए प्रति माह पर काम करता था. इस कहानी में हम जानेंगे कैसे उसने अपनी लगन और इच्छा शक्ति के दम पर 300 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी. यह कहानी है जयराम बानन बनाने की है . जिन्होंने एक छोटे से ढाबे से शुरुआत करके. विदेश तक अपना कारोबार फैलाया. तो बिना देर किए चलिए शुरू करते हैं.

जयराम बानन की प्रेरणादायक कहानी(Jayaram Banan biography and Success Story)

जयराम बानन की प्रेरणादायक कहानी(Jayaram Banan biography and Success Story)

दोस्तों चलिए अब हम आपको जयराम बानन के जीवन की कहानी के बारे में बताते है, जो हमें बताती है कि सपनों को साकार करने के लिए मेहनत और लगन कितनी ज़रूरी है। जयराम बानन ने अपनी कड़ी लगन, साहस और कौशल से एक छोटे से शहर के एक साधारण परिवार से आकर भारत की सबसे बड़ी रेस्टोरेंट चेन ‘सागर रत्न‘ की स्थापना की। जो अपने आप मे एक बहुत ही बड़ी बात है | चलिए आपको बताते हैं, जयराम बानन के संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी के बारे में –

दोस्तों आपको बता दे की जयराम बानन का जन्म June 2, 1956 में कर्नाटक के उडुपी जिले में हुआ था। उडुपी अपने चमत्कारी मंदिरों और प्रसिद्ध स्वादिष्ट उडुपी व्यंजनों के लिए जाना जाता है। जयराम बानन बहुत ही संधारण परिवार से आते हैं, और उनका बचपन बहुत कठिनाइयों से भरा था। उनके पिता मात्र 18 रुपये महीने की नौकरी करते थे | जिससे उनके घर परिवार का पालन-पोषण होता था |

इन्ही कठिन हालातो के बीच उन्हें व्यापार करने की इच्छा हुई थी | वो अपनी किस्मत आज़माने और उडुपी की परंपराओं को देश-विदेश में फैलाने का सपना देखते थे। इसी सपने को साकार करने के लिए वह मुंबई आ गए और कई सारे होटलों में काम करना शुरू किया, बहुत सारी जानकारी हासिल की |

1986 में जयराम ने अपने सपने को पूरा करने के लिए बहुत बड़ी कदम उठाये और दिल्ली के मथुरा रोड पर अपना पहला रेस्टोरेंट खोल दिये| जिसका नाम उन्होंने ‘सागर रत्न’ रखा। जहाँ उत्तर भारत के लोग अधिकतर चावल, रोटी और तंदूरी खाया करते थे, वहाँ जयराम ने उन्हें दक्षिण भारतीय व्यंजन जैसे दोसा, इडली, वड़ा आदि से परिचित कराया।

शुरुआत में लोग इन नए स्वादों को पसंद नहीं कर रहे थे। लेकिन जयराम ने हार नहीं मानी और अपने ग्राहकों की पसंद को समझने का प्रयास किया। जयराम बानन ने मेन्यू में थोड़े बदलाव किए, और रेसिपीज़ को स्थानीय स्वाद के अनुसार ढाला और सबसे ज्यादा खाने की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया।

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तब धीरे-धीरे लोगों को ‘सागर रत्न’ का स्वाद काफी ज्यादा पसंद आने लगा| जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। महज कुछ ही दिनों के बाद इन्हें काफी अच्छी खासी कमाई होने लगी |जयराम बानन की कठिन मेहनत रंग लाई और ‘सागर रत्न’ ने पूरे भारत में अपनी पहचान बनाई। आज यह देश की सबसे बड़ी रेस्टोरेंट चेन में से एक है और इसकी शाखाएँ 50 से अधिक शहरों में फैल चुकी है |

आपको बता दे की जयराम बानन ने ‘सागर रत्न’ को अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैलाया। आज कनाडा, सिंगापुर, बैंकॉक और दुबई जैसी बड़ी-बड़ी देश में भी ‘सागर रत्न’ की शाखा फैल चुकी हैं। 2017 में जयराम बानन को उद्योग और व्यापार में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। जो अपने आप में एक बहुत बड़ी सम्मान है |

दोस्तों जयराम बाननआज लगभग 70 साल के हो चुके है और वे अपने बेटे की मदद से ‘सागर रत्न’ चेन को काफी सफलता पूर्ण चल रहे हैं। दोस्तों जयराम बानन जी की यह सफलता उनके संघर्ष, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का परिणाम है। जो हमें सिखाती है कि अगर इंसान चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकता है |

दोस्तों जयराम बानन की कहानी सिर्फ एक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा का स्रोत भी है। यह हमें बताती है कि सही दृष्टिकोण, कौशल और कड़ी मेहनत के साथ कोई भी व्यक्ति असंभव को संभव बन सकता है। जयराम बानन जैसे बहुत सारे लोग हैं जिन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया है | उन लोगों को कई बार Failer का भी सामना करना पड़ा | लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी | और आज हमारे लिए उनके संघर्ष की कहानी प्रेरणा का स्रोत है | ऐसी कहानियाँ हमें आगे बढ़ने और कठिनाइयों से न डरने की प्रेरणा देती हैं।

जयराम बानन जैसे लोग ही भारत को आगे ले जाने में मदद कर रहे हैं। उनकी जिद, मेहनत और कौशल से ही देश का विकास संभव है। ऐसे उद्यमियों की प्रेरणादायक कहानियाँ हमारी अगली पीढ़ी को सही दिशा देंगी और उन्हें भारत को विकसित देश बनाने के लिए प्रेरित करेंगी।

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